बोर्डिंग स्कूल में रितु का भूत - एक सच्ची कहानी
मेरा नाम सोनू सिंह है, और आज मैं आपको एक ऐसी घटना सुनाने जा रहा हूँ, जिसे सुनकर आपकी आत्मा काँप उठेगी। ये कोई आम कहानी नहीं, बल्कि एक ऐसी हकीकत है, जिसे मेरे खुद के आँखों ने देखा है। ये बात एक साल पुरानी है, जब मैं दिल्ली के एक बोर्डिंग स्कूल में नया-नया आया था।
हर स्कूल में एक ऐसी जगह होती है, जो रहस्यमयी होती है, लेकिन हमारे स्कूल में वह जगह थी— रूम नंबर 303।
अजीब शुरुआत
जब मैंने स्कूल में कदम रखा, तो वहाँ का माहौल कुछ अजीब सा था। बच्चों के चेहरे उतरे हुए थे, उनकी आँखों में कोई अनदेखा डर झलक रहा था। मैंने अपने सीनियर से पूछा, "क्या हुआ? सब इतने डरे हुए क्यों हैं?"
उसने धीरे से कहा, "आज फिर से एक लाश मिली है… उसी कमरे के पास।"
मेरे पूरे शरीर में एक ठंडी लहर दौड़ गई। जिस लड़की की लाश मिली थी, उसका चेहरा बुरी तरह कुचला हुआ था, जैसे किसी ने बेरहमी से उसे मौत के घाट उतार दिया हो। कुछ दिन बीते ही थे कि एक और लड़की की लाश उसी जगह मिली। अब पूरे हॉस्टल में सन्नाटा छा गया। कहते हैं, जो भी उस कमरे के पास जाता है, वो मर जाता है…
डरावनी रात
रात होते ही हॉस्टल के गलियारे वीरान हो जाते। हवा सर्द और भारी हो जाती। हर रात, कुछ अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देतीं— कभी किसी के कराहने की, कभी रहस्यमयी हँसी की, तो कभी किसी के धीमे-धीमे सिसकने की।
एक रात, कुछ सीनियर्स ने मज़ाक में मुझे उस कमरे में धकेल दिया और बाहर से ताला लगा दिया। मेरी धड़कन तेज़ हो गई। कमरा ठंडा होने लगा… और फिर, अचानक, एक अजीब सी गंध हवा में फैल गई— जली हुई मांस की, सड़े हुए खून की!
अंधेरे में, मैंने देखा… एक परछाई कोने में खड़ी थी। वह धीरे-धीरे मेरी ओर बढ़ने लगी। जब वह रोशनी में आई, तो मैं जड़ हो गया। वह एक लड़की थी… पर उसकी आँखों से खून बह रहा था, उसके होंठ कटे हुए थे, और उसके नाखून नुकीले पंजों में बदल चुके थे।
"तुम भी उन्हीं में से हो?" उसकी आवाज़ बर्फ जैसी ठंडी थी।
भूत का कहर
मैंने काँपते हुए कहा, "नहीं… मैं बस यहाँ फँस गया हूँ… मुझे छोड़ दो!"
वह मुस्कुराई… पर वह मुस्कान खौफनाक थी। उसकी हड्डियाँ चटक रही थीं, जैसे कोई उन्हें मोड़ रहा हो। उसने कहा, "मुझे उन सबसे बदला लेना था, जिन्होंने मुझे यहाँ बंद किया था… अब सिर्फ एक बची है… और फिर मुझे मुक्ति मिलेगी।"
तभी, दरवाजा ज़ोर से खुला और पंडित जी अंदर आ गए। उन्होंने मंत्र पढ़े और गंगाजल छिड़का। वह लड़की चीखने लगी, उसका शरीर जलने लगा, उसकी चीखें पूरे हॉस्टल में गूँज उठीं…
सच का खुलासा
पंडित जी ने बताया कि वह लड़की रितु थी। छुट्टियों से पहले, कुछ लड़कियों ने मज़ाक में उसे रूम नंबर 303 में बंद कर दिया था। वह कई दिनों तक भूखी-प्यासी तड़पती रही और वहीं दम तोड़ दिया। उसकी आत्मा बदला लेने के लिए लौट आई थी। और उसने उन सभी को खत्म कर दिया, जिन्होंने उसके साथ वह भयानक मज़ाक किया था।
इसके बाद, रूम नंबर 303 को हमेशा के लिए सील कर दिया गया। लेकिन कहते हैं, अगर आप रात के 3 बजे उस कमरे के पास खड़े होंगे, तो किसी के रोने की आवाज़ आज भी सुनाई देती है…
क्या आप उस कमरे के पास जाने की हिम्मत करेंगे?
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