मेरा बेटा के अंदर आया किन्नर का भूत - एक सच्ची कहानी
नमस्कार, मैं रणवीर सिंह, और आज मैं आपको अपनी जिंदगी की सबसे भयानक घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ। यह उस रात की कहानी है जिसने मेरे परिवार को हिलाकर रख दिया।
यह दो साल पहले की बात है, जब मैं अपने नए घर में शिफ्ट हुआ था। यह घर मेरे पिता का था, लेकिन उसमें जाने से पहले ही उनकी रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उनकी मृत्यु के कुछ दिन बाद, मैं अपनी माँ और छोटे भाई विकास के साथ वहाँ रहने चला गया। विकास पेशे से एक वकील था।
घर में कदम रखते ही अजीब घटनाएँ होने लगीं। एक दिन, अचानक एक किन्नर हमारे दरवाजे से भीतर आ गई। वह बेतहाशा ‘विनोद! विनोद!’ चिल्ला रही थी। जब उसकी नजर दीवार पर टंगी मेरे पिता की तस्वीर पर पड़ी, तो वह ठिठक गई। उसने काँपती आवाज़ में कहा, ‘माफ कीजिएगा, मैं विनोद को ढूंढ रही थी।’ फिर एक कागज पर अपना नंबर लिखकर बोली, ‘अगर विनोद घर आ जाए तो मुझे बता देना।’
शुरुआत में हमने इस घटना को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन कुछ ही दिनों बाद मेरा बेटा अजीब-अजीब हरकतें करने लगा। कभी वह साड़ी पहन लेता, कभी अजीब आवाज़ में बातें करता, जैसे कोई और उसमें समा गया हो। उसकी हरकतें डरावनी होती जा रही थीं।
फिर एक रात कुछ ऐसा हुआ जिसने हमारी आत्मा तक को झकझोर दिया। आधी रात को अचानक मेरे बेटे के कमरे से तालियों की गूँज सुनाई देने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई किन्नर ज़ोर-ज़ोर से तालियाँ पीट रहा हो। जब मैंने अंदर जाकर देखा, तो मेरा बेटा भारी और डरावनी आवाज़ में गा रहा था और नाच रहा था। उसकी आँखें काली पड़ चुकी थीं, और उसके चेहरे पर एक भयानक हँसी थी।
अचानक उसने गुस्से में मेरे छोटे भाई पर हमला कर दिया। उसकी आवाज़ अचानक बदल गई, और वह चिल्लाया, ‘मैं तुम्हारा बेटा नहीं, मैं विनोद हूँ!’
मेरी माँ और भाई डर से सुन्न हो गए। विनोद कौन था? फिर हमें याद आया कि विनोद मेरे पिता की पहली पत्नी का बेटा था, जो बचपन में ही गायब हो गया था।
हमने किसी तरह अपने बेटे को शांत कराया, लेकिन वह बेहोश हो गया। अगली सुबह हमने उस किन्नर को बुलाया और उससे मदद माँगी। उसने गंभीर स्वर में कहा, ‘किन्नर की आत्मा इतनी आसानी से पीछा नहीं छोड़ती। मैं माँ दुर्गा से प्रार्थना करूँगी कि तुम्हारा परिवार सुरक्षित रहे।’
लेकिन उस रात फिर से तालियों की आवाज़ें गूँजने लगीं। इस बार मेरा भाई विकास बेहद गुस्से में था। उसने एक चाकू उठा लिया और मेरे बेटे की ओर लपका, लेकिन तभी मेरे बेटे के अंदर मौजूद आत्मा ने भयंकर चीख मारी और कहा, ‘तू मुझे मारना चाहता है? लेकिन मैंने तेरा सच देख लिया है!’
मेरा भाई घबरा गया। उसने काँपते हुए कहा, ‘विनोद… मैं जानता हूँ, मैंने तुम्हारे साथ गलत किया… तुम्हारे पिता ने जबरदस्ती तुमसे इस घर के कागजात पर साइन करवा लिए थे… और फिर मैंने तुम्हें मारकर तुम्हारी लाश जंगल में गाड़ दी…’
ये सुनते ही मेरा भाई लड़खड़ा कर नीचे गिर पड़ा। उसकी आँखों में पछतावा था, लेकिन विनोद की आत्मा का गुस्सा शांत नहीं हुआ था। मेरे बेटे ने झटके में चाकू उठाया और विकास के सीने में घोंप दिया। विकास तड़पता रहा और आखिरकार उसकी मौत हो गई।
अगली सुबह हमने पुलिस को बुलाकर जंगल में दबी हुई लाश को निकलवाया और विनोद का अंतिम संस्कार करवाया। लेकिन विनोद की आत्मा आज भी कभी-कभी महसूस होती है। कभी-कभी आधी रात में वही तालियों की आवाजें फिर से गूंज उठती हैं…
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