अंधेरे रोड पर चुड़ैल का खौफ
 - एक सच्ची कहानी

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम टिंकू शर्मा है और आज मैं आपको अपनी जिंदगी की सबसे डरावनी सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ। ये घटना आज से दो साल पहले की है, जब मुझे एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिली थी।

मेरा ऑफिस शहर से दूर था, इसलिए रोजाना आने-जाने में काफी दिक्कत होती थी। पहले दिन ऑफिस में सब कुछ ठीक-ठाक रहा, लेकिन शाम को जब मैंने एक महिला सहकर्मी से छोटे रास्ते के बारे में पूछा तो उसने तुरंत मना कर दिया। तभी कुछ और लोग भी वहाँ आ गए और बोले, "नहीं भाई साहब, उस रास्ते से मत जाना! वहाँ जो भी जाता है या तो बीमार पड़ जाता है या फिर वापस ही नहीं आता।"

एक व्यक्ति ने बताया, "हमारे ही ऑफिस में वरुण नाम का एक लड़का था। हमने उसे भी मना किया था, लेकिन वह नहीं माना। आज तक उसकी कोई खबर नहीं मिली। वहाँ के गाँव वाले कहते हैं कि उस सड़क पर एक भयानक चुड़ैल का साया है, जो वहाँ से गुजरने वाले हर इंसान को मार डालती है।"

मैंने उन लोगों की बात को मज़ाक में लिया और कहा, "अरे ये सब अफवाहें हैं। मैं आज उसी सड़क से जाऊँगा और साबित कर दूँगा कि ऐसा कुछ नहीं होता।"

रात का खौफनाक सफर

मैं अपनी बाइक लेकर उस अंधेरी सड़क पर चल पड़ा। वहाँ का सन्नाटा अजीब सा था, हवा में अजीब ठंडक थी। आधा रास्ता पार करने के बाद, अचानक मुझे सड़क किनारे एक बेहद खूबसूरत लड़की दिखी। ऐसा लग रहा था मानो वह अभी-अभी किसी महल से उतरी हो।

मैंने बाइक रोकी और उससे पूछा, "क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूँ?"

उसने धीमे स्वर में कहा, "हाँ, क्या आप मुझे थोड़ा आगे तक छोड़ देंगे? मेरा घर बस आगे ही है।"

मैंने उसे पीछे बिठा लिया और हम आगे बढ़ने लगे। हम रास्ते भर बातें करते रहे, लेकिन जैसे ही मैंने सड़क पार की, मुझे अचानक एहसास हुआ कि पीछे कोई नहीं बैठा था! मैंने डर से शीशे में देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था।

डरावने सपने और बीमारी

डर और घबराहट के साथ मैं घर पहुँचा। रात में जैसे ही आँख लगी, वही लड़की मेरे सपने में आई। वह किसी पुराने खंडहर में मुझे बुला रही थी। मैं धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ा, लेकिन जैसे ही वह पलटी, उसका चेहरा विकराल रूप ले चुका था—लंबे नुकीले दाँत, लाल चमकती आँखें, और काला चेहरा।

वह मेरी तरफ झपट पड़ी, तभी मेरी नींद खुल गई। मैं पसीने से तर था और तेज़ बुखार में तप रहा था। अगले कुछ दिनों तक यही सिलसिला जारी रहा। मेरी हालत बिगड़ती जा रही थी।

पंडित जी का हवन और चुड़ैल की सच्चाई

उसी दौरान, मुझे मेरे बचपन के दोस्त विशाल का फ़ोन आया। मैंने उसे सारी घटना बताई। उसने यह बात अपनी दादी को बताई, जो गाँव की बहुत ज्ञानी महिला थीं। अगले दिन वह अपने खानदानी पंडित को लेकर मेरे घर आईं।

जैसे ही पंडित जी ने हवन शुरू किया, अचानक घर में ज़ोरदार हवा चलने लगी, खिड़कियाँ और दरवाज़े आपस में टकराने लगे। तभी कमरे के एक कोने से काले धुएँ का गुबार उठने लगा और उसमें से वही चुड़ैल प्रकट हो गई।

पंडित जी ने उससे पूछा, "तू इस लड़के के पीछे क्यों पड़ी है? इसे छोड़ दे!"

चुड़ैल गुस्से से चिल्लाई, "नहीं! मैं इसे मार डालूँगी!"

पंडित जी बोले, "तू बदला क्यों लेना चाहती है?"

तब चुड़ैल की आवाज़ गूंज उठी, "उस सड़क पर चार दरिंदों ने मेरा बलात्कार किया और मुझे मारकर दफना दिया। तभी से मैं वहाँ आने वाले हर आदमी को मार देती हूँ।"

पंडित जी ने कहा, "तेरा बदला इनसे नहीं है। मैं तुझे मुक्त कर दूँगा।"

उन्होंने गंगा जल छिड़कते हुए कुछ मंत्र पढ़े। चुड़ैल दर्द से चीख उठी और अंत में एक छोटे से मिट्टी के घड़े में समा गई। पंडित जी ने मेरी दोस्त की दादी से कहा, "इस घड़े को श्मशान में ले जाकर गाड़ देना।"

खौफनाक अनुभव का अंत

उसके बाद मेरी तबियत धीरे-धीरे ठीक होने लगी। मैंने वह नौकरी छोड़ दी और अपने गाँव वापस चला गया। अब मैं और मेरा दोस्त विशाल साथ में गाँव में काम कर रहे हैं। लेकिन आज भी जब मैं उस रात के बारे में सोचता हूँ, मेरी रूह कांप उठती है।


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