खून से लथपथ कमरा - एक सच्ची कहानी

Narrated by Samar Rawat

रात के अंधेरे में वीरान हवेली के दरवाजे पर ठंडी हवा के झोंके टकरा रहे थे। हवेली कई सालों से बंद पड़ी थी, लेकिन आज वहां से किसी के चीखने की आवाज़ आई। इस हवेली का इतिहास खौफनाक था—यहां के मालिक विक्रम चौहान अचानक गायब हो गए थे और तब से यह जगह शापित मानी जाती थी।

रवि, एक जिज्ञासु पत्रकार, जिसने कई रहस्यमयी घटनाओं की रिपोर्टिंग की थी, इस जगह की सच्चाई जानने के लिए यहां आया था। वह जानता था कि इस हवेली से जुड़ी कहानियां लोगों के रोंगटे खड़े कर देती थीं, लेकिन उसे यकीन नहीं था कि कोई भी जगह सच में शापित हो सकती है।

रात का सफर और हवेली का दरवाजा

रवि जब हवेली के करीब पहुंचा, तो हवा में अजीब-सी घुटन महसूस हुई। उसने अपनी टॉर्च जलाई और भारी लकड़ी के दरवाजे को धीरे-धीरे धक्का दिया। दरवाजा चरमराता हुआ खुला और अंदर गहरा अंधेरा पसरा हुआ था। जैसे ही रवि ने अंदर कदम रखा, उसे महसूस हुआ कि फर्श पर कुछ गीला और चिपचिपा था। उसने नीचे टॉर्च डाली और जो देखा, उससे उसकी सांसें रुक गईं—खून! चारों ओर खून बिखरा हुआ था, जैसे किसी को बेरहमी से मारा गया हो।

अजनबी परछाइयां और खून से लिखा संदेश

रवि ने धीरे-धीरे चारों ओर नज़र दौड़ाई। दीवारों पर खून के छींटे थे, और एक कोने में पुरानी लकड़ी की कुर्सी पड़ी थी। लेकिन उसकी टॉर्च की रोशनी में एक परछाई हिलती नज़र आई। वह सिहर उठा। परछाई वहां थी, लेकिन जैसे ही उसने टॉर्च की रोशनी उस पर डाली, वह गायब हो गई!

अचानक, उसे दीवार पर कुछ लिखा दिखा—"वो जाग चुका है!"

रवि का दिल जोरों से धड़कने लगा। हवेली के भीतर अजीब-सी सरसराहट गूंजने लगी। कोई था वहां, कोई जो दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन उसकी मौजूदगी महसूस हो रही थी।

सांसें रोक देने वाली आवाज़ें

अचानक, किसी के पैरों की आहट सुनाई दी। रवि ने तुरंत अपनी टॉर्च घुमाई, लेकिन वहां कुछ नहीं था। फिर एक दरवाजा अपने आप चरमराता हुआ खुला, और अंदर से हल्की लाल रोशनी फूट रही थी। रवि ने हिम्मत जुटाकर उस कमरे की ओर कदम बढ़ाया।

जैसे ही उसने कमरे के अंदर कदम रखा, एक अलमारी ज़ोर से गिर पड़ी। रवि एक झटके में पीछे हटा। उसकी सांसें तेज़ हो गईं। तभी, उसे किसी ने उसके कंधे पर हल्का सा स्पर्श किया। उसने झटके से मुड़कर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था।

फिर, उसके कानों में धीमी फुसफुसाहट गूंजने लगी—"तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए था..."

भूतिया छाया और मौत का अहसास

रवि का शरीर सुन्न हो गया। उसके हाथ से टॉर्च गिर गई और अब हवेली का अंधेरा उसे अपनी गिरफ्त में ले चुका था। तभी, हवा में एक ठंडी सांस महसूस हुई और अचानक, भयानक चीख हवेली में गूंज उठी!

रवि भागने के लिए मुड़ा, लेकिन उसके पैर किसी अदृश्य ताकत ने पकड़ लिए। तभी, सामने एक छाया उभरने लगी—लंबी, विकृत चेहरा और गहरी, काली आंखें। वह हंस रही थी, लेकिन उसकी हंसी किसी की मौत की दस्तक की तरह थी। रवि ने पूरी ताकत से खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन वह छाया अब उसके ठीक सामने थी।

खून से लथपथ आखिरी शब्द

सुबह जब पुलिस हवेली पहुंची, तो दरवाजे पर खून के निशान थे, जो अंदर की ओर जाते थे। अंदर एक खून से सना कमरा था, लेकिन रवि का कोई नामोनिशान नहीं था। दीवार पर लिखा था—"अब वो जाग चुका है!"

किसी को नहीं पता कि रवि के साथ क्या हुआ, लेकिन जो भी इस हवेली में गया, वह कभी वापस नहीं आया...


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