भूत बंगला – एक खौफनाक रहस्य
नरेशन: रुद्र रावत
रात के घने अंधेरे में, जब सारी दुनिया नींद के आगोश में थी, तब एक जगह थी जो हमेशा जागती रहती थी। शहर से दूर, घने जंगलों के बीच खड़ा था वो पुराना बंगला—जिसे लोग "भूत बंगला" कहते थे। इस बंगले की दीवारें जैसे कई अनकहे राज़ छिपाए हुए थीं। कहते हैं, वहाँ जो भी गया, वो कभी वापस नहीं आया।
रहस्यमयी दस्तक
अजय, रोहन, प्रिया और निखिल—चार दोस्त, जिन्हें रोमांच का बेहद शौक था। एक रात, चैलेंज स्वीकार करते हुए, वे उस बंगले की ओर बढ़े।
जैसे ही वे गेट पर पहुंचे, हवा में एक अजीब-सी ठंडक फैल गई। गेट ज़ंग लगा हुआ था और उसके पुराने किवाड़ खुद ही खुल गए, जैसे किसी ने उन्हें आमंत्रण दिया हो। चारों के शरीर में सिहरन दौड़ गई, पर उत्सुकता के चलते वे अंदर चले गए।
सन्नाटे में चीखों की गूंज
बंगले के अंदर घुसते ही उन्हें महसूस हुआ कि कोई उन्हें देख रहा है। दीवारों पर जमी धूल और जाले इस जगह की वीरानगी बयां कर रहे थे। अचानक, एक दरवाजा अपने आप बंद हो गया।
"शायद हवा की वजह से होगा," अजय ने कहा, लेकिन उसकी आवाज़ खुद ही हिल चुकी थी।
अचानक, बंगले की ऊपरी मंज़िल से किसी के रोने की आवाज़ आने लगी। वो आवाज़ इतनी दर्दनाक थी कि रूह तक कांप गई।
"चलो, देखते हैं," निखिल ने कहा, पर उसके कदम भी डगमगा रहे थे।
वे सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर पहुंचे। वहां एक लंबा गलियारा था, और गलियारे के अंत में एक कमरा। आवाज़ वहीं से आ रही थी।
भूतिया छाया का रहस्य
अजय ने जैसे ही दरवाज़ा खोला, वहां एक लड़की खड़ी थी—सफेद साड़ी में लिपटी, बाल बिखरे हुए और चेहरा झुका हुआ।
उसकी सिसकियों से कमरा गूंज रहा था।
"तुम कौन हो?" प्रिया ने कांपती आवाज़ में पूछा।
लड़की ने धीरे-धीरे अपना चेहरा ऊपर उठाया। उसकी आँखों से खून बह रहा था, और उसकी त्वचा सफेद से नीली पड़ चुकी थी।
"मुझे न्याय चाहिए... मुझे इंसाफ़ चाहिए..." उसकी गूंजती हुई आवाज़ ने पूरे बंगले को हिला दिया।
भूत बंगले का इतिहास
तभी, पीछे से एक बुजुर्ग की आवाज़ आई।
"इस बंगले में सालों पहले एक परिवार रहता था। उनकी बेटी को बेरहमी से मार दिया गया था, और उसकी आत्मा अब भी इंसाफ़ के लिए भटक रही है।"
चारों दोस्त सुन्न खड़े रह गए। अचानक, वह बुजुर्ग भी अंधेरे में विलीन हो गया।
अब चारों को समझ आ चुका था कि यह बंगला सिर्फ एक खंडहर नहीं, बल्कि अनगिनत चीखों और दर्द की दास्तां समेटे हुए है।
खौफनाक अंत
डर के मारे चारों जैसे-तैसे बंगले से बाहर भागे। उनके पीछे से वही लड़की ज़ोर से चिल्लाई और पूरी हवेली हिल गई।
गेट के बाहर आते ही, सब कुछ शांत हो गया। लेकिन क्या वह आत्मा अब भी वहाँ थी? क्या वह अब भी किसी की तलाश में थी?
शायद, ये सवाल हमेशा अनसुलझे रहेंगे…
"अगर आपको ये कहानी अच्छी लगी है तों हमें कोमेंट में जरुर बताएं और इस भूतिया कहानी को ज्यादा से ज्यादा शेयर करना ना भूले धन्यवाद।"
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